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Showing posts from September, 2017

अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच जारी जंग तीसरे विश्व युद्ध की आहट

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उत्तर कोरिया के उस दावे को अमेरिका ने भले ही खारिज कर दिया हो, जिसमें उसने ट्रंप प्रशासन पर युद्ध शुरू करने की बात कही थी, मगर इस बात को हल्के में नहीं लिया जा सकता। अपने मिसाइल कार्यक्रम के जरिए पूरे विश्व के लिए मुसीबत बना उत्तर कोरिया आरोप लगा रहा है कि अमेरिका ने उस पर युद्ध का ऐलान कर दिया है, तो मान लेना चाहिए कि वह जंग के लिए उधार बैठा है। उत्तर कोरिया के विदेश मंत्री री योंग हो ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर उनके देश के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने का आरोप लगाया है। हो सोमवार न्यूयार्क में थे। हो ने कहा कि प्योंगयांग अमेरिकी बमवर्षक विमानों को मार गिराकर अपनी रक्षा करने के लिए तैयार है। पूरी दुनिया को स्पष्ट रूप से याद रखना चाहिए कि पहले अमेरिका ने हमारे देश के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया है। गौरतलब है कि उत्तर कोरिया का अमेरिका के साथ राजनयिक संबंध नहीं है। हो न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक महासभा सत्र में शामिल होने गए थे। हालांकि, अमेरिका की ओर से युद्ध की घोषणा करने संबंधी किए गए दावों को खारिज किया गया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने क

पूंजीगत व्यय पर टिका है विकास, सरकार की सोच सही विकास की रफ्तार तेज होगी

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चालू वित्त वर्ष की दो तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट आने के बाद विकास को लेकर सरकार की चिंता स्वाभाविक है। फिलहाल, अर्थव्यवस्था में छाई मंदी दृष्टिगोचर हो रही है। इस स्थिति पर काबू पाने के लिए सरकार सार्वजनिक खर्च को बढ़ाने पर विचार कर रही है। हालांकि, इस वजह से राजकोषीय घाटे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। फिर भी केंद्र सरकार इस राह पर चलने के लिए तैयार है, क्योंकि मौजूदा समय में पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी करके विकास के विविध मानकों में तेजी लाई जा सकती है। उदाहरण के तौर पर सड़क एवं आवास क्षेत्र में निवेश करने पर सीमेंट, छड़ और रेत आदि की मांग में इजाफा एवं रोजगार सृजन में बढ़ोतरी हो सकती है। मौजूदा समय में औद्योगिक गतिविधियों, बुनियादी क्षेत्र और रोजगार के अवसरों में सुस्ती का माहौल बना है। उत्पादों की मांग में सुस्ती एवं खर्च करने में परहेज से विकास का गुलाबीपन मद्दिम पड़ रहा है। माना यह जा रहा है कि पूंजीगत व्यय में वृद्धि होने से अर्थव्यवस्था में सुधार आ सकता है। अस्तु केंद्र वित्त मंत्री अरुण जेटली, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, रेलवे एवं कोयला मंत्री पीय

महिला आरक्षण पर सियासी दांव, प्रावधान पर सभी दलों को एक मत होना पड़ेगा

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक पारित करने के सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सियासी चाल चल दी है। पहली बार सोनिया गांधी ने किसी मुद्दे पर खुद आगे आकर सरकार को खुला समर्थन देने की बात भी कही है। ऐसा शायद इसलिए ताकि महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा सके। यह जरूरी नहीं कि सरकार राज्यसभा में नौ मार्च-2010 को पारित हो चुके इस विधेयक को लोकसभा में लाए ही। वैसे, भाजपा की तरफ से संकेत मिलने लगे हैं कि वह अगले सत्र में इस बिल को पेश कर सकती है। दरअसल भाजपा का लोकसभा में स्पष्ट बहुमत है, इसलिए यह विधेयक पारित न होने पाए इसमें कोई संशय भी नहीं है। वैसे, सोनिया गांधी ने यह दांव इसलिए खेला है, ताकि उज्ज्वला योजना और तीन तलाक के मुद्दे पर महिलाओं का भाजपा के पक्ष में जो ध्रुवीकरण हुआ है, उसे चुनौती दी जा सके। इस मुद्दे को जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसी साल लोकसभा अध्यक्ष सुमित्र महाजन द्वारा बुलाए गए महिला विधायकों के राष्ट्रीय सम्मेलन में उठाया था, तब पीएम मोदी ने कहा था कि ‘महिलाओं को सशक्त बनाने वाले पु

देश में उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा बहुत ही खराब दौर से गुजर रही, हालात सुधरने जरूरी

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देश में इस समय उच्च और तकनीकी शिक्षा बहुत ही खराब दौर से गुजर रही है। पिछले कई वर्षो से उच्च शिक्षा का ढांचा चरमरा रहा था, लेकिन तब इस दिशा में कुछ भी नहीं किया गया। अब मोदी सरकार से उम्मीद है कि वह इस दिशा में न सिर्फ प्रयास करेगी, बल्कि मौजूदा स्थितियों में भी सुधार लाएगी। पिछले दिनों उच्च और तकनीकी शिक्षा की सबसे बड़ी नियामक संस्था ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन यानी एआईसीटीई ने तय किया है कि जिन इंजीनियरिंग कॉलेजों में 30 फीसदी से कम दाखिले हो रहे हैं, उन्हें बंद किया जाएगा। देश भर में एआईसीटीई से संबद्ध करीब 10 हजार 361 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जिनमें लगभग 37 लाख सीटें हैं। अब इनमें से करीब 27 लाख सीटें खाली पड़ी हैं, जो कि बड़ा और भयावह आंकड़ा है। पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म बाबू मोशाय बंदूकबाज में डॉयलाग है कि ‘आदमी की जिंदगी में उसका किया हुआ उसके सामने आता है। ये डॉयलाग देश में उच्च शिक्षा की सबसे बड़ी नियामक संस्था एआईसीटीई पर पूरी तरह से फिट बैठता है, क्योंकि पहले तो उसने बिना ठीक से परखे और गुणवत्ता की चिंता किए गली-गली में इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने के लाइसेंस

लंदन में धमाका चिंता का विषय, दुनिया की सबसे श्रेष्ठ पुलिस नाकाम क्यों

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हाल के दिनों में ब्रिटेन आतंकियों के निशाने पर रहा है। एक नियमित अंतराल पर ब्रिटेन में आतंकी हमले हो रहे हैं। इस्लामिक चरमपंथियों से लेकर आतंकी हमले झेल रहे लंदन में एक बार फिर पारसन्स ग्रीन अंडरग्राउंड स्टेशन पर धमाका हुआ। धमाके में कई लोगों के झुलसने और घायल होने की खबर है। इस धमाके में हताहतों की संख्या कम भले ही हो, मगर इसे छोटा हमला या लापरवाही मान लेना सबसे बड़ी भूल होगी। लंदन में इसी साल तीन और आतंकी हमले हो चुके हैं। 22 मार्च, 23 मई और चार जून को हुए आतंकवादी हमलों के बाद अब ट्रेन में धमाका उस चरमपंथ की अगली कड़ी है, जो पूरे यूरोप को अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है। वैसे आतंकियों ने 2005 से लंदन को निशाना बनाना शुरू किया था। उसी साल जुलाई में तीन बड़े हमले हुए थे। आतंकियों ने तीन ट्यूब रूट्स (भूमिगत मेट्रो) को तो निशाना बनाया ही था। डबल डेकर बस और दूसरी जगहों पर भी धमाके किए थे। इस हमले के बाद सवाल उठने लाजिमी हैं। इंग्लिश पुलिस और दूसरी सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों को पुलिस और एजेंसियों में माना जाता है। फिर वह इस तरह की वारदातों को रोक पाने में सफल क्यों नहीं हो पा र

अब दाऊद को देनी होगी सजा, जब तक इंसाफ पूरा नहीं होगा

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मुंबई में 12 मार्च 1993 को सीरियल ब्लास्ट केस में स्पेशल टाडा कोर्ट ने अबू सलेम और करीमउल्ला शेख को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उन पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने रियाज सिद्दीकी को 10 साल की सजा सुनाई है, जबकि ताहिर मर्चेट और फिरोज अब्दुल राशिद खान को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 16 जून को इन सभी के साथ मुस्तफा दौसा को भी दोषी ठहराया था, मगर सजा सुनने से पहले ही उसकी मौत हो गई। 1993 में मुंबई में एक के बाद एक 12 बम धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे व 27 करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ था। टाडा कोर्ट का यह फैसला मुंबई के लिए सुकूनभरा है और पीड़ितों के घाव पर मरहम का काम करेगा। लेकिन न्याय तो अब भी अधूरा है। धमाकों का मास्टर माइंड दाऊद इब्राहिम अब तक पकड़ में नहीं आया है, जब तक उसे फांसी पर नहीं लटकाया जाएगा, तब तक इंसाफ पूरा नहीं होगा। वैसे इस मामले में 27 आरोपी अब भी फरार हैं, जिनमें टाइगर मेमन व छोटा शकील भी हैं। अब इन्हें भी पकड़कर भारत लाना होगा और कानून के सामने खड़ा करना होगा, ताकि उनकी करतूत के लिए सजा दी जा सके

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार में राजनीति नहीं, काबिलियत जरूरी

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तमाम अनुमानों को दरकिनार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीम में जिस तरह नौ नए चेहरे चुने, चार को प्रमोशन दिए व छह को बाहर का रास्ता दिखाया, उसके जरिए यह जताने की कोशिश की है कि अब उनकी टीम में वही फिट हो पाएगा जो काबिल होगा। मोदी के काबिलियत के इस पैमाने में राजनीति सबसे बड़ी शर्त नहीं है। साथ ही इस फेरबदल में उन्होंने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। फेरबदल में मोदी स्टाइल की धमक देखने को मिली है। सारे पूर्वानुमानों को धता बताते हुए मोदी ने बिहार और उत्तरप्रदेश से दो-दो मंत्रियों को साथ लिया है तो मध्यप्रदेश सहित तीन राज्यों से एक-एक मंत्री को जगह दी गई है। पहली बार बिना किसी सदन के दो पूर्व सेवानिवृत्त अधिकारियों को मंत्री बनाए जाने का ऐलान कर मोदी ने साल-2019 की अपनी रणनीति का संदेश दे दिया है। मोदी सरकार में दो रिटायर्ड आईएएस, एक आईपीएस तथा एक आईएफएस मंत्री बने हैं। इस फेरबदल में सहयोगी दलों को न लेकर उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि वे बिना दबाव काम करेंगे। यानी तीन साल बाद अब पीएम मोदी अपनी स्टाइल में काम करेंगे। राजनीतिक कौशल और संदेश देने की पूरी जिम्मेदारी खुद संभ

महिलाओं को ढोंगी बाबाओं के पास जाने से खुद को रोकना होगा

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धर्म एवं अध्यात्म की दुनिया के एक और तथाकथित ‘सौदागर’ गुरमीत सिंह के चेहरे से अब उसकी हकीकत का नकाब पूरी तरह से हट चुका है। वर्ष-2002 में अपने ही डेरे की साध्वियों के बलात्कार का आरोपी अब बलात्कार का सजायाफ्ता मुजरिम बन चुका है। सीबीआई अदालत ने उसे बीस वर्ष का सश्रम कारावास तथा तीस लाख रुपए जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई है। अब इस बलात्कारी, ढोंगी, अध्यात्मवादी गुरमीत सिंह को जेल भेजे जाने के बाद उसके आश्रम से संबंधित और भी अनेक ऐसे सनसनीखेज कारनामों की खबरें सुनाई दे रही हैं, जिन पर कानों को विश्वास ही नहीं हो रहा है। देश में स्वयं को विशिष्ट बताने वाले विभिन्न सम्मानित क्षेत्रों के कई लोग महिलाओं के साथ बलात्कार करने, बहला-फुसला कर हवस मिटाने, लालच देकर या सब्जबाग दिखाकर महिलाओं की अस्मत से खेलने का प्रयास करते रहे हैं। राह चलती लड़कियों का अपहरण करने और उनके साथ सामूहिक बलात्कार करने तथा बलात्कार के बाद हत्या कर देने जैसे मामले तो आए दिन सामने आते ही रहते हैं। इससे पहले आसाराम नामक एक पाखंडी बाबा के साथ भी इसी प्रकार का मामला सुनाई दिया था। आज तक आसाराम तथा उसका पुत्र नाराय