नेपाल से सख्ती से पेश आए भारत


राजएक्सप्रेस, भोपाल। नेपाल (Nepal)के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (PM Khadga Prasad Sharma Oli)भारत की तीन दिन की यात्रा पर आ चुके हैं। इस दौरान उनके साथ कई अहम बिंदुओं पर बात होगी। इस दौरान चीन का मुद्दा भी उठेगा। नेपाल में वह प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में जुटा है, जो भारत के लिए चिंता का सबब है।
नेपाल में कम्युनिस्ट शासन के सत्तारूढ़ होने के साथ भारत विरोधी अभियान एक बार फिर तेज हो गया है। इस अभियान की जिम्मेदारी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की ईकाई ने ली है। भारत में नेपाल विरोधी अभियान के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली एक प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आ चुके हैं। पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आए ओली की यह पहली भारत यात्रा है। हालांकि, वे इससे पूर्व अपनी ही सरकार के कार्यकाल में एक बार भारत आ चुके हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की छवि भारत विरोधी है। यह अब छिपी बात नहीं है।
सच तो यह है चुनाव के दौरान उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में खुलकर भारत विरोध का कार्ड खेला और जिसका उन्हें फायदा भी मिला। वहीं नेपाली कांग्रेस को हिंदू राष्ट्र का राग अलापने का खासा नुकसान उठाना पड़ा। भारत परस्त मानी जाने वाली नेपाल तराई पट्टी का करीब सात प्रतिशत अल्पसंख्सयक वोट नेपाली कांग्रेस से छिटककर कम्युनिस्ट केंद्र से जुड़ गया। यह भारत के लिए चिंता का सबब है। इसी चिंता के बीच ओली भारत पहुंचे हैं। नेपाली प्रधानमंत्री के साथ कई मुद्दों पर बातचीत संभव है। इसमें वर्षो से अटकी जल विद्युत परियोजना भी है, जो भारत के सहयोग से बननी है।
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और सरकारों के आने-जाने से यह परियोजना मूर्तरूप नहीं ले पा रही है। इसके अलावा भारत-नेपाल सीमा पर भारतीयों द्वारा कब्जा कर खेती किए जाने का मुद्दा भी वार्ता का मुख्य हिस्सा हो सकता है। 1950 की भारत-नेपाल संधि की समीक्षा के साथ दोनों देशों के बीच सीमा की सुरक्षा और नेपाल से लगातार बढ़ रही मानव तस्करी पर भी बात हो सकती है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच जिस सबसे बड़े विषय पर बात होने की संभावना दिख रही है, वह भारत में बंद हो चुके एक हजार और पांच सौ के नोट बदलने की है।
भारत आने से पहले ही नेपाल के प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि उनके देश में 950 करोड़ रुपए की पुरानी करेंसी इधर-उधर पड़ी है। वैसे, यह ऐसा मसला है, जिसका समाधान आसान नहीं है, क्योंकि भारतीय मुद्रा नेपाल में बैन है, तो सवाल यह भी उठेगा कि इतनी करेंसी वहां पहुंची तो कैसे? नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ चीन का मुद्दा भी उठेगा। नेपाल में चीन जिस तरह से अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में जुटा है, वह भारत के लिए चिंता का सबब है। भारत हर संभव कोशिश कर रहा है कि नेपाल, चीन से दूर रहे।
मगर वह भारत को दरकिनार कर चीन के साथ गठजोड़ करता दिखता है। मोदी जब नेपाल के दौरे पर गए थे, तब भी उन्होंने उसे चीन से दूर रहने की हिदायत देते हुए पूरे नफा-नुकसान के बारे में बताया था। बावजूद इसके नेपाल के स्वभाव में आज तक कोई परिवर्तन नहीं दिखा है। अब जबकि ओली भारत आए हैं, तो इस मुद्दे को प्रमुखता से उनके सामने उठाना चाहिए, क्योंकि भारत के बाद ओली चीन की यात्रा पर जाएंगे और वे वहां जाकर क्या करेंगे, यह बताने की जरूरत नहीं है।

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